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Showing posts from December, 2022

विद्यार्थियों की उम्मीदें और नए संकल्प का 2023

नमस्कार विद्यार्थियों .....✍️ शिक्षाविद ( RES डॉ एस पी गोस्वामी ) आज हम 2023 की दहलीज पर हैं और नए साल का विचार हमारे मन को बहुत उत्साह से भर देता है। नई उम्मीदों, नई इच्छाओं और नए सपनों के साथ इसका स्वागत करते हैं। इसलिए सभी विद्यार्थी नए जोश और नए ज़ज्बे के साथ 2023 में कदम रखने को तैयार हैं। नया साल आत्मनिरीक्षण और संकल्प का समय है। हमें यह देखने के लिए आत्मनिरीक्षण करना होगा कि क्या प्राप्त किया जाना है और हमारी क्या कमियां हैं। हमें अपनी कमजोरियों का शीघ्र विश्लेषण करना होगा और आगे बढ़ना होगा साथ ही अपनी मंजिल को पाने के लिए  खुद की खोज में निकलना होगा सच को स्वीकार लो, यही असली ज्ञान है।  जो अपनी मेहनत से कुछ कर दिखाएं वही तो महान है।  सपने मत देखो लक्ष्य बनाओ। पढ़

क्यों हर नक़्शे में उत्तर दिशा को ऊपर दिखाया जाता है?

  “ये महज एक मानक मात्र है जो अब हमें एक आदत सी पड़ गई है ऊपर मतलब उत्तर दिशा” हम अनंत ब्रह्मांड का हिस्सा हैं जिसके परिपेक्ष्य में ऊपर,नीचे,दायें व बायें सब ही अनन्त है। पर क्यों ? इसका अपना बेहतरीन इतिहास है पिछली कुछ सदियों से पहले ऐसा बिल्कुल नहीं था। 1-चीनियों के पास उनका कम्पास बहुत पहले से है जो दक्षिण दिशा इंगित करता था और कहा जाता है कि दक्षिण से ताजी हवा आती है अत राजा दक्षिण की तरफ मह करके खड़ा होता था और प्रजा इसके विपरीत अर्थात उत्तर की ओर जिस दिशा में उनका राजा तभी से कहते हैं कि चीनी नक्शे में ऊपर उत्तर को स्थान दिया। 2-इस्लाम इसी तरह शुरुआती मुस्लिम नक़्शों में दक्षिण दिशा को ऊपर रखा जाता था क्योंकि इस्लाम को मानने वाले ज़्यादातर लोग मक्का के उत्तर में बसते थे,तो वो उत्तर की तरफ़ से दक्षिण की तरफ़ देखते थे। 3-उस दौर के ईसाई नक़्शों में पूरब को ऊंचा दर्जा हासिल था. वो मानते थे कि आदम का बाग़ उसी तरफ़ है,उनके नक़्शे के हिसाब से येरूशलम, इसके केंद्र में होता था। (वर्तमान समय में नासा द्वारा ली गई तस्वीर उत्तर दिशा को ऊपर मानते हुए) अब सवाल है कि कब  सबने मिलकर ये तय किया कि

विश्व की आबादी 8 अरब (World’s Population Touches 8 Billion)[ Population Geography]

  चर्चा में क्यों?  संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष (UNPFA)   के अनुसार,  विश्व भर में मानव आबादी 8 अरब तक पहुँच गई है। वर्ष 2022 के आँकड़ों के अनुसार दुनिया की आधी से अधिक आबादी एशिया में रहती है, चीन और भारत 1.4 बिलियन से अधिक लोगों के साथ दो सबसे अधिक आबादी वाले देश हैं। 2037 में 9 बिलियन और वर्ष 2058 में 10 बिलियन लोगों तक पहुंचने का अनुमान है। 1959 (3 बिलियन) से 1999 (6 बिलियन) तक 40 वर्षों में दोगुना हो गया है। वर्तमान में (2022) प्रति वर्ष लगभग 0.84% ​​की दर से बढ़ रहा है , जो प्रति वर्ष कुल 67 मिलियन लोगों को जोड़ रहा है। 1960 के दशक के अंत में विकास दर अपने चरम पर पहुंच गई, जब यह 2.09% थी। विकास दर वर्तमान में घट रही है और आने वाले वर्षों में गिरावट जारी रहने का अनुमान है (2048 तक 0.50% से नीचे पहुंचकर, 2086 में 0 तक पहुंच गया, और 2100 में -0.11% की गिरावट)। औद्योगिक क्रांति के साथ एक ज़बरदस्त परिवर्तन हुआ: जबकि विश्व की आबादी को 1 अरब तक पहुँचने में 1800 वर्ष तक का पूरा मानव इतिहास लगा था, दूसरा अरब केवल 130 वर्षों (1930) में हासिल किया गया था, तीसरा अरब 30 वर्षों में ( 1960),

पारिस्थितिकी तंत्र और मानव परिस्थितिकी (Ecosystem And Human Ecology) (Topic Covered Exam like :UGC-NET,SET and Assistant Professor Geography)

 पारिस्थितिकी तंत्र और मानव परिस्थितिकी (Ecosystem And Human Ecology) Download study Notes : click here  एक पारितंत्र (An Ecosystem) प्रकृति की एक क्रियाशील इकाई के रूप में देखा जाता है, वहां जीव पर जीवधारी आपस में और आसपास के भौतिक वातावरण के साथ अन्योन्यक्रिया (Interact) करते हैं। पारिस्थितिकी तंत्र (Ecosystem) शब्द पहली बार 1935 में ए. जी. तानस्ले (A.G. Tansely ) द्वारा दिया गया था। पारितंत्र तंत्र आकार में एक छोटे से जल निकाय से लेकर एक बड़े जंगल या समुद्र जैसा हो सकता है। अर्थात् स्थलीय (Terrestrial)और जलीय (Aguatic)। वन, घास के मैदान और रेगिस्तान स्थलीय पारितंत्र तंत्र के कुछ उदाहरण हैं; तालाब, झील, आर्द्रभूमि, नदी और मुहाना जलीय पारिस्थितिक तंत्र के कुछ उदाहरण हैं। पारितंत्र तंत्र संरचना और क्रियाशीलता (Ecosystem - Structure and Function) • इसमें दोनों जैविक और अजैविक घटक शामिल हैं। पारिस्थिकी तंत्र की कार्यप्रणाली ( Functioning of the Ecosystem) पारिस्थितिक तंत्र की कार्यप्रणाली ऊर्जा के प्रवाह पर निर्भर करती है क्योंकि पारिस्थितिकी तंत्र में जीवित जीवों के सभी पहलू ऊर्जा प्रवा