“ये महज एक मानक मात्र है जो अब हमें एक आदत सी पड़ गई है ऊपर मतलब उत्तर दिशा”
हम अनंत ब्रह्मांड का हिस्सा हैं जिसके परिपेक्ष्य में ऊपर,नीचे,दायें व बायें सब ही अनन्त है।
पर क्यों ?
इसका अपना बेहतरीन इतिहास है पिछली कुछ सदियों से पहले ऐसा बिल्कुल नहीं था।
1-चीनियों के पास उनका कम्पास बहुत पहले से है जो दक्षिण दिशा इंगित करता था और कहा जाता है कि दक्षिण से ताजी हवा आती है अत राजा दक्षिण की तरफ मह करके खड़ा होता था और प्रजा इसके विपरीत अर्थात उत्तर की ओर जिस दिशा में उनका राजा तभी से कहते हैं कि चीनी नक्शे में ऊपर उत्तर को स्थान दिया।
2-इस्लाम इसी तरह शुरुआती मुस्लिम नक़्शों में दक्षिण दिशा को ऊपर रखा जाता था क्योंकि इस्लाम को मानने वाले ज़्यादातर लोग मक्का के उत्तर में बसते थे,तो वो उत्तर की तरफ़ से दक्षिण की तरफ़ देखते थे।
3-उस दौर के ईसाई नक़्शों में पूरब को ऊंचा दर्जा हासिल था. वो मानते थे कि आदम का बाग़ उसी तरफ़ है,उनके नक़्शे के हिसाब से येरूशलम, इसके केंद्र में होता था।
(वर्तमान समय में नासा द्वारा ली गई तस्वीर उत्तर दिशा को ऊपर मानते हुए)
अब सवाल है कि कब सबने मिलकर ये तय किया कि उत्तर को नक़्शे में सबसे ऊपर रखा जाएगा?
कुछ लोग ये मानते हैं कि दुनिया तलाशने निकले यूरोपीय खोजकर्ताओं, जैसे कोलम्बस या फर्डीनेंड मैग्लेन ने ऐसा किया होगा।
लेकिन जेरी ब्रॉटन कहते हैं कि ये ख़्याल ग़लत है. कोलम्बस, उस वक़्त की ईसाई परंपरा के हिसाब से पूरब को ही नक़्शे में सबसे ऊपर मानते थे,उस दौर के ईसाई नक़्शों को 'मप्पा मुंडी' कहा जाता था.
जानकार मानते हैं कि उत्तर को नक़्शे में ऊपर रखने की शुरुआत जेरार्डस मर्काटर नाम के नक़्शानवीस ने की थे ,वो बेल्जियम के रहने वाले थे, जिन्होंने 1569 में उस वक़्त का धरती का सबसे सटीक मानचित्र बनाया था,जिसमें पहली बार धरती के घुमाव को भी शामिल किया गया था मर्काटर ने ये नक़्शा, नाविकों के लिए बनाया था।
अत: ‘उत्तर को ऊपर रखने की वजह ये थी कि यूरोपीय लोग उस वक़्त उत्तरी गोलार्ध की ही खोज कर रहे थे’।
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